विजय दशमी के पावन तिहार म मोर कोति ले गाड़ा-गाड़ा भर सुभकामना। आज के दिन अब्बड़ खुसी के दिन हवे। आज के दिन भगवान राम ह दस मूढ़ी के रावन के नास करे रहिस।
आज के जुग म रावन काला हे? सिरतोन गोठ त ये हे, के आज के जुग के रावण के तीन मूढ़ हवे। ओखर पहिली मूढ़ त बेरोजगारी हे; दूसर मूढ़ नशा हे; अउ तीसर मूढ़, हमर मन म जेन नफरत होते, वो हे। ये तीन मूढ़ी के रावन हमन नौजवान मन ल बरबाद करत हे।
ओखर ल भस्काये बर, हमन ल एक होना परही। जेन उत्साह के संग हमन नवरात्री म माता के पूजा करथे, उहू उत्साह के संग अपन सरकार ल हमला कामबूता देबर मजबूर करे बर परही, जेकर ल हमन सम्मान के संग अपन जिनगी गुज़ारा कर सकन। नशा ल नास करे बर हमला प्रतिज्ञा करे परही के आज ले हमन चेपटी के चपेट म नई आवन। अउ जब हमन अपन-अपन मोहल्ले म अब्बड़ बड़े ले रावण ल मारथे, उहू टाइम ल हमन अपन भीतर के नफरत ल खत्म करबो, ऐसन हमला संकल्प लेवन हवे।
तभे जेन सपना ल हमर पुरखा मन हमर छत्तीसगढ़ राज बर देखे रहिस, ओला हमन साकार कर सकन।
अमित जोगी
रायपुर, २०.१०.२००७
आज के जुग म रावन काला हे? सिरतोन गोठ त ये हे, के आज के जुग के रावण के तीन मूढ़ हवे। ओखर पहिली मूढ़ त बेरोजगारी हे; दूसर मूढ़ नशा हे; अउ तीसर मूढ़, हमर मन म जेन नफरत होते, वो हे। ये तीन मूढ़ी के रावन हमन नौजवान मन ल बरबाद करत हे।
ओखर ल भस्काये बर, हमन ल एक होना परही। जेन उत्साह के संग हमन नवरात्री म माता के पूजा करथे, उहू उत्साह के संग अपन सरकार ल हमला कामबूता देबर मजबूर करे बर परही, जेकर ल हमन सम्मान के संग अपन जिनगी गुज़ारा कर सकन। नशा ल नास करे बर हमला प्रतिज्ञा करे परही के आज ले हमन चेपटी के चपेट म नई आवन। अउ जब हमन अपन-अपन मोहल्ले म अब्बड़ बड़े ले रावण ल मारथे, उहू टाइम ल हमन अपन भीतर के नफरत ल खत्म करबो, ऐसन हमला संकल्प लेवन हवे।
तभे जेन सपना ल हमर पुरखा मन हमर छत्तीसगढ़ राज बर देखे रहिस, ओला हमन साकार कर सकन।
अमित जोगी
रायपुर, २०.१०.२००७
4 comments (टिप्पणी):
Bhaiya aap chhattisgarhi mein itna accha likh sakte ho aaj pata chala.
Very encouraging thoughts bhaiya.
Good work..
And Happy Dusshera to u too..
बने कहेस गा, संकलप तौ लेच बर परही , एक ठन बात अऊ हावय, तैं हा पतिया चाहे झन पतिया, आज के रावण के खाली तीने अकल मूड़ नई हे, ओखर तौ अऊ अब्बड़ अकन मूड हावय जईसे कि राजनीति घलोक हा ओखर एक मूड़ हरे फ़ेर भ्रष्टाचार घलोक हा एक अऊ मूड़ हरे
तईसने फ़ेर अऊ हावत।अऊ फ़ेर सब ले बड़े बात तौ ए हरय ना कि हमर सांसद अऊ विधायक मन हा तको त संकलप लेते जब संसद ऊ विधानसभा म जाथे तौ फ़ेर कतेक ओखर पालन करथे?
खाली संकलप ले ल का हो ही भैय्या।
ले फ़ेर बने बात कहेस ते हां अऊ खुसी त ए बात के घलोक हावय के तेहां हमर भाखा म लिखे हावस, तोला अऊ तोर झम्मो घरवाला मन ला घलोक गाड़ा गाड़ा सुभकामना रे भाई।
परभु हा सब्बो के दुख ल दुर करै, हारी-बीमारी दुरिहा भगावै!!
Maja Aage!
संजीव भाई के गोठ ले मे सहमत हवं। परन दिन रवानभाटा म जब मोला रावण मारे बर मनखे बुलाय रहिस, त मे येहिच्च बात कहे रहेंव के आज के जुग म जोन अंधियार हमर छत्तीसगढ़ म छाये हे, ओखरे रावन जैसन दस ठन मूड़ी हवे।
बेरोजगारी, नशाखोरी अउ नफरत त विसेस रूप ले हमन युवा मन के ऊपर लागू होथे लेकिन एखरे अलावा सात अउ मूड़ी हवय : भ्रष्टाचार, ऊंच नीच अउ अमीरी गरीबी के भावना, असिक्षा, सोसन, अनेकतावाद, साम्प्रदायिकता अउ गरीबी।
जब ये दसों मूड़ी कटही, तभे हमर राज के अंधियार मिटही, अउ छत्तीसगढ़ के चारों डेरी उजियार हो जाही।
अमित
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