निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि इस सवाल का जवाब आप अपने आप को ही नही दे पाएंगे, ढूंढे नही मिलेगा जवाब!!
अक्सर जो खबरों मे रहा करते हैं वे खुद से बेखबर नही होते, वे खुद से तो क्या किसी से भी, किसी भी मुद्दे से बेखबर नही रहा करते। लेकिन जाहिराना अंदाज़ यही होता है कि बेखबरी का आलम है!!
जो खुद खबर हों वे भला कैसे गाफ़िल हो सकते हैं पर कभी कभी यह खुद से बेखबरी का आलम अपने आप पर हावी हो ही जाता है, एक ऊब सी महसूस होने लगती हैं क्योंकि दिल भी आखिर व्यक्तिगत स्वतंत्रता चाहता ही है।
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6 comments (टिप्पणी):
Bhaiya,
any specific reason for this inner feeling (question)?
Rgrds,
Remmish Gupta
बहुत खूब!!
निश्चित तौर पर कह सकता हूं कि इस सवाल का जवाब आप अपने आप को ही नही दे पाएंगे, ढूंढे नही मिलेगा जवाब!!
अक्सर जो खबरों मे रहा करते हैं वे खुद से बेखबर नही होते, वे खुद से तो क्या किसी से भी, किसी भी मुद्दे से बेखबर नही रहा करते। लेकिन जाहिराना अंदाज़ यही होता है कि बेखबरी का आलम है!!
जो खुद खबर हों वे भला कैसे गाफ़िल हो सकते हैं पर कभी कभी यह खुद से बेखबरी का आलम अपने आप पर हावी हो ही जाता है, एक ऊब सी महसूस होने लगती हैं क्योंकि दिल भी आखिर व्यक्तिगत स्वतंत्रता चाहता ही है।
The eternal irony of eyes - it sees the world, never to see itself.
aapko jarurat hai kis aise inasan ki jo aapko aapse rubaru karaey :)
Bhaiya why do u think so ki aap khud se bekhabar hain?
jai mata di,
( khabaron men rahkar bhi ,
khud se bekhabar kyon hoon mai),
mainen dekha hai ek khwab,
usme hain aap,
nikala tha ghar se main akela ,
log milte gaye aur kawaran banata
gaya .
Ek garib ki shubhkamanon ke sath
aapka
Venu vyanketshwar dongre
Deobhog,Raipur(c.g.)
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