Sunday, March 18, 2012

Asia's first robotic walk: A few small steps for Papa, one giant leap for the people of Chhattisgarh!


चलने की सरल प्रक्रिया- पैरों को एक के बाद उठाना ताकि शरीर को आगे बढ़ाया जा सके- उनके लिए अनगिनत अधिक महत्त्व रखता है जो कि, मेरे पिता अजीत जोगी जी के शब्दों में, "पिछले आठ सालों से किसी से आँखों में आँख डालकर बात नहीं कर सका" क्योंकि वो एक व्हीलचैर में बंध गया था. "अब, अंततः," वो कहते हैं, "कि मैं लोगों से आँखें मिलाकर बात कर सकूंगा."

ये विडियो क्लिप पापा को न्यू ज़ीलैंड की एक कंपनी रेक्स बायोनिक्स द्वारा निर्मित रोबोटिक पैर (इ-लेग्स) के जरिए चलते हुए दिखाता है. जब कंपनी उनके लिए ऐसे इ-लेग्स का लगभग दो महीनों बाद निर्माण कर लेगी, तो वे दुनिया के चौथे- और एशिया के पहले- इ-लेग्स इस्तेमाल करने वाले व्यक्ति बन जायेंगे. उन्हें उम्मीद है कि इस तकनीकी क्रांति के चलते बहुत जल्द ही व्हीलचैर अतीत की चीज़ बन जाएगा.

हमारे परिवार और शुभ-चिंतकों के लिए आज- १७ मार्च २०१२- ज़िन्दगी का सबसे ज्यादा ख़ुशी का दिन बन गया है: पापा अकेले नहीं हैं जो नौंवे आसमान पर हैं!

The simple act of walking- lifting one's feet, one at a time, to propel one's body forward- assumes infinitely greater significance for someone who has, to use my father Mr. Ajit Jogi’s words, "not been able to make eye-contact with anyone for eight long years" because of having been straddled to a wheelchair. "Now, finally," he says, "I am able to look people in the eye when I talk to them."

This video-clip shows Papa taking his first steps in Mumbai using a robotic exoskeleton (called e-legs) developed by Rex Bionics, a New Zealand-based company. When his e-leg has been customized (in another 2 months or so), he would become the company's fourth e-leg user in the world (the other three being from the US, Canada and New Zealand)- and it is his fervent hope and desire that continuing advancements in technology would make wheelchairs a thing of the past.

Speaking for our family and well-wishers, today- 17th March 2012- has been, without doubt, the happiest, most momentous day of our lives: Papa is not the only one in Ninth Heaven!

Disclaimer: The author wishes to acknowledge that the background music is from Wolfgang Amadeus Mozart's Eine Kleine Nachtmusik. Read More (आगे और पढ़ें)......

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